खंडवा (समर्थ संवाद)- ट्रांसपोर्ट कारोबार को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिए प्रशासन ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं। निजी डेवलपर की तर्ज पर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराते हुए नगर पालिक निगम और प्रशासनिक अमले ने यहां सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था कर दी है। लेकिन अब मुसीबत यह है कि यहां कारोबार करने वाले व्यवसायी आने को तैयार नहीं हैं। कारण है कि सरकारी गाइड लाइन के तहत जमीन के जो रेट तय किए गए हैं, उस रेट पर प्लॉट खरीदने से ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने स्पष्ट मना कर दिया है। अब आने वाले वक्त में हालात क्या होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह कहना लाजमी होगा कि ट्रांसपोर्ट कारोबार शिफ्ट कराने में प्रशासन को भारी मशक्क्त करना होगी।
बैठक का नतीजा शून्य
कुछ समय पहले नगर पालिग निगम की ओर से विधायक और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों समेत इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की एक बैठक कराई थी। जिसमें बताया था कि संपत्ति अंतरण और विस्थापन के नियमों के तहत सरकारी गाइड लाइन के तहत ट्रांसपोर्ट नगर के प्लॉट बेचे जाएंगे। इसमें वहां कराए गए विकास कार्य की लागत भी जोड़ी जाएगी। करीब २४ एकड़ ५५ डिसमिल जमीन पर ट्रांसपोर्ट नगर विकसित किया गया है। इस बैठक में जमीन के रेट को लेकर बात नहीं बनी और नतीजा शून्य रहा।
जमीन के लिए कारोड़ों खर्च
नगर निगम के अधिकारी बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर को विकसित करने के पहले उस जमीन पर वन संरक्षण अधिनियम लगा तो वन विभाग में २ करोड़ ७६ लाख रुपए जमा किए गए। इसके साथ ही प्रशासन ने ५० एकड़ जमीन नागचून में वन विभाग को दी। इसकेबाद विकास कार्य में कारोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं। अब अगर ट्रांसपोर्ट कारोबारी वहां प्लॉट नहीं लेते हैं तो समय बीतने के साथ किए गए निर्माण भी जर्जर हो जाएंगे।
प्लॉट में चाहिए सब्सिडी
ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की मांग है कि उन्हें इण्डस्ट्री की तरह प्लॉट में सब्सिडी दी जाए। यानि ७५० रुपए वर्ग फिट का प्लॉट १५० से २०० रुपए तक में मिले तो खरीदेंगे। दूसरी ओर प्रशासन का कहना है कि सरकारी गाइड लाइन से कम दाम में प्लॉट की बिक्री नहीं हो सकती। एेसे में ट्रांसपोर्ट नगर बिना कारोबारियों के ही विकसित हुआ राह तकता रहेगा।