मुंबई (समर्थ संवाद)- टैक्स डि़डक्शन ऐट सोर्स यानी TDS। यह एक ऐसी बला है, जिसका पाला हर सैलरी और बिजनेस वालों से हर साल पड़ता है। खासकर वित्तवर्ष के अंतिम महीने मार्च में यह और ज्यादा परेशान करता है। हम बता रहे हैं इसके बारे में।
अलग-अलग तरीके से लगता है टैक्स
TDS अलग-अलग तरीके से होने वाली कमाई जैसे सैलरी, ब्याज, कमीशन, डिविडेंड आदि पर लागू होता है। हालांकि यह सभी तरह के इनकम और ट्रांजैक्शन के लिए व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। पेमेंट्स और प्राप्तकर्ताओं की कैटेगरी के लिए इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 द्वारा TDS की विभिन्न दरें हैं।
उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को डेट म्यूचुअल फंड स्कीम से हुई TDS के दायरे में नहीं आती है।जबकि एक NRI यानी अनिवासी भारतीय के लिए यह TDS के अधीन है।
TDS का अर्थ है सोर्स पर टैक्स कटौती
TDS का अर्थ है सोर्स पर टैक्स कटौती और इसे उस सोर्स पर कर कलेक्ट करने के लिए लगाया गया जहां से किसी व्यक्ति की इनकम हुई है। सरकार TDS का उपयोग टैक्स एकत्र करने के लिए एक साधन के रूप में करती है। इसका मतलब टैक्स चोरी को कम करने के लिए होता है।TDS इस नोट पर काम करता है कि किसी भी व्यक्ति को कोई विशेष पेमेंट करने वाला प्रत्येक व्यक्ति सोर्स पर इनकम टैक्स ऐक्ट में तय दरों पर टैक्स की कटौती करेगा और इसे सरकार के खाते में जमा करेगा।
सरकार के पास जमा होता है पेमेंट
यहां पेमेंट करने वाला व्यक्ति टैक्स काटने और उसे सरकार के पास जमा करने के लिए जिम्मेदार है। इस व्यक्ति को डिडक्टर के रूप में जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति TDS के बाद पेमेंट प्राप्त करता है उसे ‘डिडक्टी’ कहा जाता है। फॉर्म 26 AS एक स्टेटमेंट होता है, जो किसी विशेष वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्ति के नाम/पैन में काटे और जमा किए गए टैक्स की रकम को दिखाता है।
TDS कैसे काम करता है
पेमेंट करने वाली संस्था (जो TDS के अधीन है) टैक्स के रूप में पेमेंट की गई रकम का एक निश्चित प्रतिशत काटती है। इसे प्राप्तकर्ता (recipient) को बाकी रकम का पेमेंट करती है। प्राप्तकर्ता को डिडक्टर से एक प्रमाण पत्र भी मिलता है जो TDS की रकम बताता है।1 जुलाई 2022 से क्रिप्टो असेट्स के ट्रांसफर पर इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 194S के तहत 1% की दर से टैक्स काटा जाएगा। विशिष्ट व्यक्ति (अन्य मामले में 10,000 रुपए) के मामले में ट्रांसफर रकम 50,000 रुपए से अधिक होने पर टैक्स काटा जाएगा ।
हमें यह याद रखना चाहिए कि किसी ट्रांजैक्शन पर TDS केवल तभी काटा जाता है जब पेमेंट एक तय सीमा से ऊपर होता हो। विभिन्न पेमेंट्स जैसे सैलरी, ब्याज आदि के लिए इनकम टैक्स विभाग द्वारा अलग-अलग सीमा तय है। उदाहरण के लिए, एक साल में बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 40 हजार रुपए से कम ब्याज मिल रहा है तो इस पर कोई TDS नहीं होगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वित्तीय वर्ष में यह सीमा 50,000 रुपए से ज्यादा है।
टैक्स नहीं काटने की अपील कर सकते हैं
अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि एक वित्तीय वर्ष में उसकी टोटल इनकम छूट की सीमा (exemption limit) से कम होगी, तो वह पेमेंटकर्ता को फॉर्म 15G/15H जमा करके TDS नहीं काटने के लिए कह सकता है। पेमेंट प्राप्त करते समय जो TDS के अधीन है, ज्यादा रेट्स पर कर कटौती से बचने के लिए डिडक्टर को अपना पैन डिटेल्स देना जरूरी है।
वर्तमान TDS दर क्या है?
TDS की दर आपके द्वारा प्राप्त इनकम के प्रकार पर निर्भर करती है। प्रत्येक इनकम की अलग सीमा होती है और एक बार उस सीमा को इनकम टैक्स ऐक्ट में TDS दर से क्रॉस कर लिया जाता है। काटे गए TDS को रिफंड के रूप में दावा किया जा सकता है बशर्ते कि वित्तीय वर्ष के लिए आपकी टैक्स लायबिलिटी काटे गए टैक्स से कम हो। TDS रिफंड का दावा करने के लिए, आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता है।