चंडीगढ़ (समर्थ संवाद)- भारत में ड्राइवर-लेस कार की कल्पना मात्र ही की गई थी, लेकिन इस कल्पना को चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने साकार कर दिया है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं के मेकाट्रॉनिक्स स्टूडेंट्स ने एक ‘आई-पॉवर्ड ड्राइवर-लेस कार’ का निर्माण किया है। यूनिवर्सिटी का दावा है कि यह कार सड़क हादसों में कमी लाएगी। इस कार में एनर्जी बैकअप के रूप में सोलर राइज सिस्टम काम करेगा।
3.80 लाख रुपए की लागत से एनओएमएडी (नोमेड) के नाम से यह ऑटोनोमस कार बनाई गई है, जो बहुत कम या बिना ह्यूमन इनपुट के काम करने में सक्षम है। इस प्रकार की कारें सड़क दुर्घटना में कमी लाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। कार रडार, लिडार, सोनार सिस्टम, जीपीएस, ओडोमेट्री जैसे कई तरह के सेंसरों पर आधारित होने के अलावा उन्नत नियंत्रण प्रणाली पर काम करती है।
कार में नेविगेशन, रास्तों, बाधाओं और प्रासंगिक संकेतों की पहचान के लिए सिस्टम लगाया गया है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चांसलर डॉ. आरएस बावा ने कहा कि कार को बनाने वाली टीम में सत्यम शर्मा, केवीएस मोहन वामसी, नवजोत सिंह और सरबसुख सूर्या शामिल हैं। ऐसे वाहनों का प्रयोग मेट्रो स्टेशनों को स्थानीय क्षेत्रों से जोड़ने, परिवहन के लिए हवाई अड्डों पर, गोल्फ क्लबों में और यूनिवर्सिटी आदि में किया जा सकता है।
कार की विशेषताएं
यह कार उचित सड़क-कानूनी संरचना के आधार पर वाहनों की स्थिति का निदान करती है। यह कई तरह के सेंसर और कैमरों से लैस है। सड़क पर दौड़ने के साथ ही कार डेटा इकट्ठा करना शुरू कर देती है। यह डेटा मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम को विभिन्न ट्रैफिक कंडीशन्स के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। कार धुंध में भी सटीक काम करेगी। वाहन स्वचालित ट्रांसमिशन के लिए कार में 15 इंच की टच-स्क्रीन के अलावा हेडलाइट, खिड़कियों, संकेतकों के लिए ऑन स्क्रीन टच बटन लगाया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम पर आधारित
यह कार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है। यह भीड़भाड़ वाली सड़कों पर दूसरी गाड़ियों, सड़क पर चल रहे लोगों, गड्ढों आदि रुकावट के बीच भी चलने में पूरी तरह सक्षम है। कार के आगे अगर कोई चीज आती है तो कार एक दम से ब्रेक लगाकर रूक जाएगी और रास्ता बदल लेगी। यह कार डीप न्यूरल सिस्टम पर काम करती है। इसके जरिए यह कैमरा सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए प्रत्येक फ्रेम में वस्तुओं और सड़क का पता लगा लेती है। कार जीपीएस डेटा का प्रयोग करके सही रास्ते पर रहती है।
5 घंटे में पूरी चार्ज हो जाती है
इस कार में मशीन लर्निंग के माध्यम से 200 से ज्यादा प्रोग्रामिंग कोड विकसित किए गए हैं। यह कार 4 से 5 घंटे में चार्ज हो जाती है। इसमें 2 स्पीड ट्रांसमिशन हैं। यह कार 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर दौड़ सकती है। इस कार में नए फीचर जोड़ते हुए इसे सोलराइज किया गया है। कार के ऊपर लगे सोलर पैनल से यह चार्ज हो जाएगी। इस कार के निर्माण में अभी तक 3.80 लाख रुपए खर्च हुए हैं। कार में सेल्फ पार्किंग के लिए भी सेंसर लगाए गए हैं।आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में वाहनों का भारत में सिर्फ 1 प्रतिशत है। इसके बावजूद दुनिया भर में होने वाले सड़क हादसों में भारत की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है। देश में हर साल 5 लाख सड़क हादसे होते हैं। इनमें 1.50 लाख लोगों की जान चली जाती है।