उत्तर प्रदेश (समर्थ संवाद)- परिवहन विभाग, यातायात विभाग और सीबीएसई व अन्य बोर्ड की ओर से स्कूल की बसों और स्कूल से जुड़े वाहनों के लिए नियमावली जारी की गई है। लेकिन आटो रिक्शा या बच्चों को लाने व ले जाने वाले अन्य वाहनों के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। हर बच्चे के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट सेवा मुहैया नहीं कराते। ऐसे में अभिभावक आटो रिक्शा चुनते हैं, जिसमें एक मोहल्ले के कुछ बच्चे एक साथ स्कूल आते-जाते हैं।
मंगलवार की दुर्घटना के बाद स्कूली बच्चों को ले जाने वाले आटो रिक्शा से जुड़े दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की मांग उठ रही है। सुरक्षा को लेकर विशेष निर्देश नहींपहले स्कूल बसों में हर सीट पर बच्चों के लिए सीट बेल्ट अनिवार्य की गई थी, जिससे किसी भी सड़क दुर्घटना के समय बच्चे सुरक्षित रहें। लेकिन मुंबई की एक घटना में एक बच्चे द्वारा दूसरे बच्चे के गले में सीट बेल्ट लपेटने के बाद इस अनिवार्यता को हटा दिया गया था। ये हैं स्कूल ट्रांसपोर्ट के नियम
– स्कूल वाहन पीले रंग का होना चाहिए।
– वाहन पर नीली पट्टी पर स्कूल का नाम लिखा हो।
– सभी वाहनों में ड्राइवर, कंडक्टर व महिला परिचारिका अनिवार्य।
– जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम होना चाहिए।
– बस के भीतर सीसीटीवी कैमरा होना चाहिए।
– बैठने की क्षमता वाहन क्षमता की डेढ़ गुना तक।
– 40 सीटर बस में 60 बच्चे तक बिठाए जा सकते हैं।
सहोदय ने स्कूलों को भेजा सतर्कता संदेश
मुजफ्फरनगर में स्कूल बस के आमने-सामने की टक्कर में हुई दो बच्चों की मृत्यु और मेरठ में आटो पलटने की घटना के बाद मेरठ स्कूल्स सहोदय काम्प्लेक्स की ओर से सभी स्कूलों को अधिक सतर्कत बरतने का सुझाव दिया गया है। इसमें आटो व बाहरी वाहनों के लिए भी सतर्कता बरतने का सुझाव दिया गया है। सहोदय ने स्कूलों को भेजा यह संदेश
– स्कूल बसों व कांट्रैक्टर के वाहनों की फिटनेस, इंश्योरेंस व अन्य कागजातों की जांच करें, वह पूरे होने चाहिए।
– समय-समय पर स्कूल बस की फिजिकल अवस्था की भी जांच करते रहें।
– वाहन चालक के कागजात जांचें। जरूरत पड़े तो टेस्ट ड्राइव कराएं, उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। भोजन, शराब व सिगरेट सेवन की जांच करें।
– चालकों को तेज रफ्तार से वाहन न चलाने के प्रति जागरूक करें। समय-समय पर याद दिलाते रहें।
– चालक की गलती सहकर्मी बताएं और शिकायत पर सख्त कार्रवाई करें।
– ट्रैकिंग व्यवस्था का इस्तेमाल करें और बीच-बीच में गतिविधियों की जांच भी करें।
– अभिभावकों द्वारा चयनित बाहरी वाहनों पर भी नजर रखें। अभिभावकों को बच्चों की संख्या, वाहन क्षमता सहित अन्य जानकारी से अवगत कराएं, जिससे वह उन पर अमल कर सकें।
रिक्शा को लेकर कोई दिशा-निर्देश न होने से बच्चों पर असुरक्षा का खतरा
आटो रिक्शा को लेकर कोई दिशा-निर्देश न होने से बच्चों पर असुरक्षा का खतरा बना रहता है। सहोदय की ओर से हमने दो बड़ी घटनाओं को देखते हुए सतर्कता सुझाव स्कूलों को भेजे गए हैं, जिससे किसी बच्चे को हताहत होने से बचाया जा सके।राहुल केसरवानी, अध्यक्ष, मेरठ स्कूल सहोदय काम्प्लेक्स रास्ते बेहद खराब हैं। अभिभावकों से आग्रह है कि बच्चों को ई-रिक्शा व अन्य तिपहिया वाहनों में न भेजें। इनमें कम जगह में अधिक बच्चों को बिठाते हैं। घर से दोपहिया वाहनों पर तीन बच्चे सवार होकर निकलें तो अभिभावक ध्यान दें। वहीं पुलिस प्रशासन से आग्रह है कि स्कूलों के आसपास अवैध पार्किंग बंद कराएं, जिससे बच्चे बड़े दोपहिया वाहनों से स्कूल न आएं।