रायपुर (समर्थ संवाद)- नवा रायपुर में पिछले 52 दिन से चल रहे आंदोलन में किसान नेता राकेश टिकैत की एंट्री हो गई है। राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद कभी भी छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। इससे पहले उन्होंने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर फोन पर बात करने का आश्वासन दिया है।नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर और कार्यकारी अध्यक्ष कामता प्रसाद रात्रे मंगलवार को दिल्ली पहुंचे थे। वहां महाराष्ट्र से आए किसानों की ओर से दिल्ली किसान आंदोलन के नेताओं का एक सम्मान समारोह था। कार्यक्रम के बाद रायपुर से गए किसान नेताओं से उनसे मुलाकात की।
उनको गांव और किसानों की मौजूदा समस्याओं की जानकारी दी। उन्हें बताया, वे लोग दिल्ली आंदोलन की रणनीति पर ही नवा रायपुर में पिछले 51-52 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।किसानों ने उन्हें अपने आंदोलन में आमंत्रित किया। नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के कार्यकारी अध्यक्ष कामता प्रसाद रात्रे ने बताया, राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद रायपुर आने की बात कही है। उससे पहले वे राज्य सरकार से फोन पर चर्चा कर समाधान की कोशिश करेंगे। नवा रायपुर के आंदोलकारियों ने संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव और डॉ. सुनीलम से भी मुलाकात कर अपनी बात पहुंचाई है।
टिकैत के घर ठहरेंगे किसान
छत्तीसगढ़ के आंदोलनकारी किसान नेता दिल्ली से सिसौली के लिए रवाना हो गए हैं। मुजफ्फरनगर के इस गांव में राकेश टिकैती का पुश्तैनी घर है। रात को किसान नेता टिकैत के घर ही ठहरेंगे। रात में उनकी किसान संगठनों के साथ चर्चा होगी।
इन मांगों को लेकर चल रहा आंदोलन
सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
प्रभावित 27 ग्रामों को घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
सम्पूर्ण ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए ।
प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड का वितरण किया जाए।
आपसी सहमति, भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन।
अर्जित भूमि पर वार्षिकी राशि का भुगतान तत्काल दिया जाए।
सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
मुआवजा प्राप्त नहीं हुए भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी।
सरकार कुछ मांगों पर सहमत, किसान पूरी मांगों पर अड़े
50 दिनों के आंदोलन और तीन दौर की चर्चा के बाद राज्य सरकार कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है। दो दिन पहले कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया था, सरकार 8 में से 6 मांगों को मानने के लिए तैयार है। किसान संगठनों ने उनके इस बयान को धोखा बताया। उनका कहना था, जिन बातों का मंत्री जिक्र कर रहे हैं उनमें उनके मांगपत्र के एक-दो बिंदु ही शामिल हैं। प्रमुख मांगों पर तो सरकार कुछ कह ही नहीं रही है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती आंदोलन जारी रहेगा।