बिज़नेस (समर्थ संवाद)- अचानक होने वाली बीमारी या हादसे से बचने के लिए मेडिक्लेम या हेल्थ पॉलिसी लेना आजकल आम बात हो गई है. इसके लिए लोग समय से प्रीमियम चुकाते हैं। इसके बावजूद कई बार लोगों को उस समय बड़ा झटका लगता है, जब उनके इलाज के क्लेम को कंपनी अचानक रिजेक्ट कर देती है। ऐसे में लोगों को समझ नहीं आता कि वे कहां जाएं और किससे अपनी फरियाद करें।
बता दें कि कोई भी कंपनी मेडिक्लेम पॉलिसी जारी करते समय उससे जुड़े नियम-शर्त लिखित में जारी करती है। लेकिन अधिकतर लोग उन नियमों को ध्यान से नहीं पढ़ते. जिसके चलते नियम-शर्तों के दायरे में न आने वाले क्लेम को कंपनियां रिजेक्ट कर देती हैं। कंपनी जब भी कोई दावा खारिज करती है तो लिखित में उसका कारण बताती है।
क्लेम रिजेक्ट होने पर कंपनी को करें शिकायत
कई बार ऐसा भी होता है कि कंपनियां किसी के मेडिक्लेम को ऐसा कारण बताकर रिजेक्ट कर देती हैं, जिसे उचित नहीं माना जा सकता। अगर कभी आपके साथ ऐसा हो जाए तो आप बीमा कंपनी को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए चिट्ठी भेजकर अपनी शिकायत कर सकते है। आप कंपनी को कह सकते हैं कि जो कारण बताकर क्लेम रिजेक्ट किया गया है, वह सही नहीं है। आपको अपनी बात के फेवर में तर्क पेश करके बताना होता है कि आपका दावा क्यों सही है।
आप अपने प्रोटेस्ट पत्र और ईमेल की कॉपी को IRDAI हैदराबाद की ईमेल आईडी complaints@irdai.gov.in पर जरूर भेजें। इसके साथ ही मेडिक्लेम देने वाली कंपनी के ग्रीवेंस सेल को भी रजिस्टर्ड पत्र और ईमेल भेजें। लिखित में शिकायत भेजने से आपके पास इस बात का सबूत हो जाता है कि आप क्लेम रिजेक्ट के फैसले से खुश नहीं है और उसका विरोध करते हैं।
बीमा लोकपाल को भी कर सकते हैं कंप्लेंट
अगर आपके पत्र और ईमेल भेजने के एक महीने बाद भी बीमा कंपनी आपके दावे का भुगतान या सूचित नहीं करती है तो आप अपने क्षेत्र के बीमा लोकपाल में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए आप सादे पेपर पर लिखकर या टाइप करवाकर रजिस्टर्ड पोस्ट और ईमेल के जरिए अपनी शिकायत बीमा लोकपाल को भेज सकते हैं। इस पत्र में आवेदक का नाम, हस्ताक्षर, बीमा का पॉलिसी नंबर, बीमा दावा नंबर और दावे की धनराशि का उल्लेख करना होता है.
इस पत्र में पिन कोड समेत अपना पूर्ण पता, फोन नंबर, ईमेल आईडी, बीमा देने वाली कंपनी का नाम और उस ऑफिस का पता बताना होता है, जहां से पॉलिसी ली गई होती है। इसके साथ ही अपनी शिकायत के साथ हॉस्पिटल के बिल, डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन, इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट, बीमा कंपनी की ओर से दिए गए रिजेक्शन लेटर की कॉपी भी अटैच करनी चाहिए।
मेरिट के आधार पर शिकायत का निपटारा
बीमा लोकपाल को भेजी शिकायत में यह बात जरूर बतानी चाहिए कि कंपनी ने क्लेम रिजेक्शन के जो कारण बताए हैं, वे क्यो गलत हैं और आपका दावा क्यों सही है। बीमा लोकपाल में कोई भी शिकायत बीमित व्यक्ति या उसके वारिस की ओर से की जा सकती है। लोकपाल में शिकायत करने के लिए कोई फीस नहीं ली जाती।
बीमा लोकपाल वादी और कंपनी के तर्कों की पड़ताल के बाद पीड़ित की शिकायत का मेरिट पर निपटारा करता है। इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर क्लेम रिजेक्शन का कोई केस कंजूमर कोर्ट में लंबित है तो फिर बीमा लोकपाल में उसकी शिकायत नहीं की जा सकती।